महालक्ष्मी अष्टकम स्तोत्र के कई लाभ माने जाते हैं:
- धन और सौभाग्य की प्राप्ति: इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं, जिससे धन, समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है।
- मनोकामना पूर्ण होती है: माना जाता है कि इस स्तोत्र का रोजाना पाठ करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
- पापों का नाश: महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ बड़े से बड़े पापों को नष्ट करने वाला माना गया है।
- समृद्धि में वृद्धि: इसे दिन में दो बार पढ़ने से धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
- विघ्न और शत्रुओं का नाश: इसे दिन में तीन बार पढ़ने से कानूनी परेशानियां, शत्रु भय, और अन्य रुकावटें समाप्त होती हैं।
- संध्या काल में पाठ: संध्या के समय इस स्तोत्र का पाठ करने से मां लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती हैं और धन-धान्य से परिपूर्ण होने का आशीर्वाद देती हैं।
यह स्तोत्र सबसे पहले देवराज इंद्र द्वारा पढ़ा गया था, और इसे उनका ही रचित माना जाता है। श्रद्धा और भक्ति से इसका पाठ करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन समृद्धि से भर जाता है।
श्री महालक्ष्मी अष्टक
श्री शुभ ॥ श्री लाभ ॥ श्री गणेशाय नमः॥
नमस्तेस्तू महामाये श्रीपिठे सूरपुजिते ।
शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥१॥
नमस्ते गरूडारूढे कोलासूर भयंकरी ।
सर्व पाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥२॥
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्ट भयंकरी ।
सर्व दुःख हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥३॥
सिद्धीबुद्धूीप्रदे देवी भुक्तिमुक्ति प्रदायिनी ।
मंत्रमूर्ते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ४ ॥
आद्यंतरहिते देवी आद्यशक्ती महेश्वरी ।
योगजे योगसंभूते महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ५ ॥
स्थूल सूक्ष्म महारौद्रे महाशक्ती महोदरे ।
महापाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ६ ॥
पद्मासनस्थिते देवी परब्रम्हस्वरूपिणी ।
परमेशि जगन्मातर्र महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥७॥
श्वेतांबरधरे देवी नानालंकार भूषिते ।
जगत्स्थिते जगन्मार्त महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥८॥
महालक्ष्म्यष्टकस्तोत्रं यः पठेत् भक्तिमान्नरः ।
सर्वसिद्धीमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥९॥
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनं ।
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्य समन्वितः ॥१०॥
त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रूविनाशनं ।
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ॥११॥